The great explorer of the truth, the master-builder of human happiness no one rejects dislikes avoids pleasure itself because it is pleasure but because know who do not those how to pursue pleasures rationally encounter consequences that are extremely painful desires to obtain.
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पत्तन राजभाषा-
कोचिन पोर्ट ट्रस्ट - पत्तन,पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में महा पत्तन न्यास अधिनियम 1963 के अधीन गठित एक स्वायत्त निकाय है। पोर्ट के प्रशासन मंत्रालय द्वारा गठित बोर्ड द्वारा नियंत्रित है। बोर्ड की अध्यक्षता केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त अध्यक्ष द्वारा किया जाता है। अध्यक्ष की सहायता के लिए उपाध्यक्ष और आठ विभागाध्यक्ष हैं ।
संगठन में सामान्य प्रशासन विभाग के अंतर्गत अक्तूबर 1983 को हिन्दी अनुभाग की स्थापना की गई। प्रारंभ में एक हिन्दी अनुवादक की नियुक्ति हुई। 1984 में एक हिन्दी अधिकारी तथा एक अतिरिक्त हिन्दी अनुवादक की नियुक्ति हुई। वर्तमान में हिन्दी अनुभाग सहायक सचिव ग्रेड I (रा भा) एवं वरिष्ठ हिन्दी अनुवादक द्वारा कार्यक्षम है। राजभाषा नियम 10(4) के अधीन 13 मार्च,2000 को कार्यालय को अधिसूचित किया गया ।
हिन्दी अनुभाग कार्यालय में राजभाषा विभाग द्वारा जारी राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी सभी दिशा निर्देशों, नीतियों का अनुपालन करता है। कार्मिकों को सेवाकालीन प्रशिक्षण हेतु नियमित रूप से नामित किया जाता है। इसके अतिरिक्त राजभाषा के प्रचार-प्रसार में सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए बहुविध प्रोत्साहन योजनाएं शुरू किया है। हिन्दी के प्रति कर्मचारियों के रुझान बढ़ाने हेतु तिमाहीवार हिन्दी कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है । हिन्दी के प्रचार-प्रसार को गति प्रदान करने हेतु इसे निगम सामाजिक उत्तरदायित्व के साथ जोड़ते हुए कार्यालय के कार्मिकों के अलावा पोर्ट परिसर के मध्य स्थित उच्च विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय आदि के साथ स्थानीय महाविद्यालयो एवं विश्वविद्यालयों के विध्यार्थियों के लिए राजभाषा कार्यप्रबंधन एवं जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। कर्मचारियों के लिए हिन्दी कार्यशाला के अतिरिक्त राजभाषा हिन्दी के आधुनिक संदर्भ में कई विशेष कार्यक्रम किए जाते हैं । इसके अलावा कर्मचारियों के बच्चों को राजभाषा हिन्दी के साथ जोड़ने के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन कर पुरस्कृत करते हुए प्रोत्साहित किया जाता है।
इस प्रकार कोचिन पोर्ट ट्रस्ट के हिन्दी अनुभाग कार्यालय में राजभाषा कार्यान्वयन व कार्यालयोत्तर राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए सतत प्रयत्नशील है।
राजभाषा कार्यान्वयन समिति की संरचना+
राजभाषा कार्यान्वयन समिति की संरचना
सांविधानिक प्रावधान+
राजभाषा संबंधी सांविधानिक प्रावधान
भारत के संविधान में राजभाषा से संबंधित भाग-17
अध्याय 1--संघ की भाषा
अनुच्छेद 120. संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा -
- भाग 17 में किसी बात के होते हुए भी, किंतु अनुच्छेद 348 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, संसद में कार्य हिंदी में या अंग्रेजी में किया जाएगा
परंतु, यथास्थिति, राज्य सभा का सभापति या लोक सभा का अध्यक्ष अथवा उस रूप में कार्य करने वाला व्यक्ति किसी सदस्य को, जो हिंदी में या अंग्रेजी में अपनी पर्याप्त अभिव्यक्ति नहीं कर सकता है, अपनी मातृ-भाषा में सदन को संबोधित करने की अनुज्ञा दे सकेगा । - जब तक संसद विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तब तक इस संविधान के प्रारंभ से पंद्रह वर्ष की अवधि की समाप्ति के पश्चात यह अनुच्छेद ऐसे प्रभावी होगा मानो “या अंग्रेजी में” शब्दों का उसमें से लोप कर दिया गया हो ।
अनुच्छेद 210: विधान-मंडल में प्रयोग की जाने वाली भाषा -
- भाग 17 में किसी बात के होते हुए भी, किंतु अनुच्छेद 348 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्य के विधान-मंडल में कार्य राज्य की राजभाषा या राजभाषाओं में या हिंदी में या अंग्रेजी में किया जाएगा
परंतु, यथास्थिति, विधान सभा का अध्यक्ष या विधान परिषद का सभापति अथवा उस रूप में कार्य करने वाला व्यक्ति किसी सदस्य को, जो पूर्वोक्त भाषाओं में से किसी भाषा में अपनी पर्याप्त अभिव्यक्ति नहीं कर सकता है, अपनी मातृभाषा में सदन को संबोधित करने की अनुज्ञा दे सकेगा । - जब तक राज्य का विधान-मंडल विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तब तक इस संविधान के प्रारंभ से पंद्रह वर्ष की अवधि की समाप्ति के पश्चात यह अनुच्छेद ऐसे प्रभावी होगा मानो “ या अंग्रेजी में ” शब्दों का उसमें से लोप कर दिया गया हो :
परंतु हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा राज्यों के विधान-मंडलों के संबंध में, यह खंड इस प्रकार प्रभावी होगा मानो इसमें आने वाले“पंद्रह वर्ष” शब्दों के स्थान पर “पच्चीस वर्ष” शब्द रख दिए गए हों :
परंतु यह और कि अरूणाचल प्रदेश, गोवा और मिजोरम राज्यों के विधान-मंडलों के संबंध में यह खंड इस प्रकार प्रभावी होगा मानो इसमें आने वाले “ पंद्रह वर्ष ” शब्दों के स्थान पर “ चालीस वर्ष ” शब्द रख दिए गए हों ।
अनुच्छेद 343. संघ की राजभाषा--
- संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी, संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।
- खंड (1) में किसी बात के होते हुए भी, इस संविधान के प्रारंभ से पंद्रह वर्ष की अवधि तक संघ के उन सभी शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा जिनके लिए उसका ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले प्रयोग किया जा रहा था :
परन्तु राष्ट्रपति उक्त अवधि के दौरान, आदेश द्वारा, संघ के शासकीय प्रयोजनों में से किसी के लिए अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त हिंदी भाषा का और भारतीय अंकों के अंतर्राष्ट्रीय रूप के अतिरिक्त देवनागरी रूप का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगा - इस अनुच्छेद में किसी बात के होते हुए भी, संसद उक्त पन्द्रह वर्ष की अवधि के पश्चात, विधि द्वारा
ए.अंग्रेजी भाषा का, या
बी.अंकों के देवनागरी रूप का,
ऐसे प्रयोजनों के लिए प्रयोग उपबंधित कर सकेगी जो ऐसी विधि में विनिर्दिष्ट किए जाएं।
अनुच्छेद 344. राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद की समिति--
- राष्ट्रपति, इस संविधान के प्रारंभ से पांच वर्ष की समाप्ति पर और तत्पश्चात ऐसे प्रारंभ से दस वर्ष की समाप्ति पर, आदेश द्वारा, एक आयोग गठित करेगा जो एक अध्यक्ष और आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट विभिन्न भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले ऐसे अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा जिनको राष्ट्रपति नियुक्त करे और आदेश में आयोग द्वारा अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया परिनिश्चित की जाएगी।
- आयोग का यह कर्तव्य होगा कि वह राष्ट्रपति को--
ए. संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए हिंदी भाषा के अधिकाधिक प्रयोग,
बी. संघ के सभी या किन्हीं शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा के प्रयोग पर निर्बंधनों,
सी. अनुच्छेद 348 में उल्लिखित सभी या किन्हीं प्रयोजनों के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा
डी. संघ के किसी एक या अधिक विनिर्दिष्ट प्रयोजनों के लिए प्रयोग किए जाने वाले अंकों के रूप
ई. संघ की राजभाषा तथा संघ और किसी राज्य के बीच या एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच पत्रादि की भाषा और उनके प्रयोग के संबंध में राष्ट्रपति द्वारा आयोग को निर्देशित किए गए किसी अन्य विषय, के बारे में सिफारिश करे।
- खंड (2) के अधीन अपनी सिफारिशें करने में, आयोग भारत की औद्योगिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक उन्नति का और लोक सेवाओं के संबंध में अहिंदी भाषी क्षेत्रों के व्यक्तियों के न्यायसंगत दावों और हितों का सम्यक ध्यान रखेगा।
- एक समिति गठित की जाएगी जो तीस सदस्यों से मिलकर बनेगी जिनमें से बीस लोक सभा के सदस्य होंगे और दस राज्य सभा के सदस्य होंगे जो क्रमशः लोक सभा के सदस्यों और राज्य सभा के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा निर्वाचित होंगे।
- समिति का यह कर्तव्य होगा कि वह खंड (1)के अधीन गठित आयोग की सिफारिशों की परीक्षा करे और राष्ट्रपति को उन पर अपनी राय के बारे में प्रतिवेदन दे।
- अनुच्छेद 343 में किसी बात के होते हुए भी, राष्ट्रपति खंड (5) में निर्दिष्ट प्रतिवेदन पर विचार करने के पश्चात् उस संपूर्ण प्रतिवेदन के या उसके किसी भाग के अनुसार निदेश दे सकेगा।
अध्याय 2- प्रादेशिक भाषाएं
अनुच्छेद 345. राज्य की राजभाषा या राजभाषाएं--
अनुच्छेद 346 और अनुच्छेद 347 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, उस राज्य में प्रयोग होने वाली भाषाओं में से किसी एक या अधिक भाषाओं को या हिंदी को उस राज्य के सभी या किन्हीं शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा या भाषाओं के रूप में अंगीकार कर सकेगाः
परंतु जब तक राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, अन्यथा उपबंध न करे तब तक राज्य के भीतर उन शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा जिनके लिए उसका इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले प्रयोग किया जा रहा था।
अनुच्छेद 346. एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा--
संघ में शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग किए जाने के लिए तत्समय प्राधिकृत भाषा, एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच तथा किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा होगी :
परंतु यदि दो या अधिक राज्य यह करार करते हैं कि उन राज्यों के बीच पत्रादि की राजभाषा हिंदी भाषा होगी तो ऐसे पत्रादि के लिए उस भाषा का प्रयोग किया जा सकेगा।
अनुच्छेद 347. किसी राज्य की जनसंख्या के किसी भाग द्वारा बोली जाने वाली भाषा के संबंध में विशेष उपबंध--
यदि इस निमित्त मांग किए जाने पर राष्ट्रपति का यह समाधान हो जाता है कि किसी राज्य की जनसंख्या का पर्याप्त भाग यह चाहता है कि उसके द्वारा बोली जाने वाली भाषा को राज्य द्वारा मान्यता दी जाए तो वह निदेश दे सकेगा कि ऐसी भाषा को भी उस राज्य में सर्वत्र या उसके किसी भाग में ऐसे प्रयोजन के लिए, जो वह विनिर्दिष्ट करे, शासकीय मान्यता दी जाए।
अध्याय 3 - उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों आदि की भाषा
अनुच्छेद 348. उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और अधिनियमों, विधेयकों आदि के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा--
- इस भाग के पूर्वगामी उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी, जब तक संसद् विधि द्वारा अन्यथा
उपबंध न करे तब तक--
ए.उच्चतम न्यायालय और प्रत्येक उच्च न्यायालय में सभी कार्यवाहियां अंग्रेजी भाषा में होंगी,
बी. (i) संसद् के प्रत्येक सदन या किसी राज्य के विधान-मंडल के सदन या प्रत्येक सदन में पुरःस्थापित किए जाने वाले सभी विधेयकों या प्रस्तावित किए जाने वाले उनके संशोधनों के,
ii. संसद या किसी राज्य के विधान-मंडल द्वारा पारित सभी अधिनियमों के और राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित सभी अध्यादेशों के ,और
iii. इस संविधान के अधीन अथवा संसद या किसी राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन निकाले गए या बनाए गए सभी आदेशों, नियमों, विनियमों और उपविधियों के, प्राधिकृत पाठ अंग्रेजी भाषा में होंगे।
- खंड(1) के उपखंड (क) में किसी बात के होते हुए भी, किसी राज्य का राज्यपाल राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से उस उच्च न्यायालय की कार्यवाहियों में, जिसका मुख्य स्थान उस राज्य में है, हिन्दी भाषा का या उस राज्य के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाली किसी अन्य भाषा का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगाः
परंतु इस खंड की कोई बात ऐसे उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए किसी निर्णय, डिक्री या आदेश को लागू नहीं होगी।
3
- खंड (1) के उपखंड (ख) में किसी बात के होते हुए भी, जहां किसी राज्य के विधान-मंडल ने,उस विधान-मंडल में पुरःस्थापित विधेयकों या उसके द्वारा पारित अधिनियमों में अथवा उस राज्य के राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित अध्यादेशों में अथवा उस उपखंड के पैरा (iv) में निर्दिष्ट किसी आदेश, नियम, विनियम या उपविधि में प्रयोग के लिए अंग्रेजी भाषा से भिन्न कोई भाषा विहित की है वहां उस राज्य के राजपत्र में उस राज्य के राज्यपाल के प्राधिकार से प्रकाशित अंग्रेजी भाषा में उसका अनुवाद इस अनुच्छेद के अधीन उसका अंग्रेजी भाषा में प्राधिकृत पाठ समझा जाएगा।
अनुच्छेद 349. भाषा से संबंधित कुछ विधियां अधिनियमित करने के लिए विशेष प्रक्रिया--
इस संविधान के प्रारंभ से पंद्रह वर्ष की अवधि के दौरान, अनुच्छेद 348 के खंड (1) में उल्लिखित किसी प्रयोजन के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा के लिए उपबंध करने वाला कोई विधेयक या संशोधन संसद के किसी सदन में राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी के बिना पुरःस्थापित या प्रस्तावित नहीं किया जाएगा और राष्ट्रपति किसी ऐसे विधेयक को पुरःस्थापित या किसी ऐसे संशोधन को प्रस्तावित किए जाने की मंजूरी अनुच्छेद 344 के खंड (1) के अधीन गठित आयोग की सिफारिशों पर और उस अनुच्छेद के खंड (4) के अधीन गठित समिति के प्रतिवेदन पर विचार करने के पश्चात् ही देगा, अन्यथा नहीं।
अध्याय 4-- विशेष निदेश
अनुच्छेद 350. व्यथा के निवारण के लिए अभ्यावेदन में प्रयोग की जाने वाली भाषा--
प्रत्येक व्यक्ति किसी व्यथा के निवारण के लिए संघ या राज्य के किसी अधिकारी या प्राधिकारी को, यथास्थिति, संघ में या राज्य में प्रयोग होने वाली किसी भाषा में अभ्यावेदन देने का हकदार होगा।
अनुच्छेद 350 क. प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधाएं--
प्रत्येक राज्य और राज्य के भीतर प्रत्येक स्थानीय प्राधिकारी भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के बालकों को शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की पर्याप्त सुविधाओं की व्यवस्था करने का प्रयास करेगा और राष्ट्रपति किसी राज्य को ऐसे निदेश दे सकेगा जो वह ऐसी सुविधाओं का उपबंध सुनिश्चित कराने के लिए आवश्यक या उचित समझता है।
अनुच्छेद 350 ख. भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के लिए विशेष अधिकारी--
- भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के लिए एक विशेष अधिकारी होगा जिसे राष्ट्रपति नियुक्त करेगा।
- विशेष अधिकारी का यह कर्तव्य होगा कि वह इस संविधान के अधीन भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के लिए उपबंधित रक्षोपायों से संबंधित सभी विषयों का अन्वेषण करे और उन विषयों के संबंध में ऐसे अंतरालों पर जो राष्ट्रपति निर्दिष्ट करे,
राष्ट्रपति को प्रतिवेदन दे और राष्ट्रपति ऐसे सभी प्रतिवेदनों को संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा और संबंधित राज्यों की सरकारों को भिजवाएगा।
अनुच्छेद 351. हिंदी भाषा के विकास के लिए निदेश--
संघ का यह कर्तव्य होगा कि वह हिंदी भाषा का प्रसार बढ़ाए, उसका विकास करे जिससे वह भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके और उसकी प्रकृति में हस्तक्षेप किए बिना हिंदुस्थानी में और आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट भारत की अन्य भाषाओं में प्रयुक्त रूप, शैली और पदों को आत्मसात करते हुए और जहां आवश्यक या वांछनीय हो वहां उसके शब्द-भंडार के लिए मुख्यतः संस्कृत से और गौणतः अन्य भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करे।
राजभाषा अधिनियम 1963+
राजभाषा अधिनियम-1963
यथा संशोधित-1967
(1963 का अधिनियम संख्यांक 19)
उन भाषाओं का, जो संघ के राजकीय प्रयोजनों, संसद में कार्य के संव्यवहार, केन्द्रीय और राज्य अधिनियमों और उच्च न्यायालयों में कतिपय प्रयोजनों के लिए प्रयोग में लाई जा सकेंगी,उपबन्ध करने के लिए अधिनियम । भारत गणराज्य के चौदहवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित होः-
- संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ-
- यह अधिनियम राजभाषा अधिनियम, 1963 कहा जा सकेगा।
- धारा 3, जनवरी, 1965 के 26 वें दिन को प्रवृत्त होगी और इस अधिनियम के शेष उपबन्ध उस तारीख को प्रवृत्त होंगे जिसे केन्द्रीय सरकार,शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा नियत करे और इस अधिनियम के विभिन्न उपबन्धों के लिए विभिन्न तारीखें नियत की जा सकेंगी।
- परिभाषाएं--इस अधिनियम में जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,
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- 'नियत दिन' से, धारा 3 के सम्बन्ध में, जनवरी, 1965 का 26वां दिन अभिप्रेत है और इस अधिनियम के किसी अन्य उपबन्ध के सम्बन्ध में वह दिन अभिप्रेत है जिस दिन को वह उपबन्ध प्रवृत्त होता है;
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बी.'हिन्दी' से वह हिन्दी अभिप्रेत है जिसकी लिपि देवनागरी है।
3.संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए और संसद में प्रयोग के लिए अंग्रेजी भाषा का रहना—
1. संविधान के प्रारम्भ से पन्द्रह वर्ष की कालावधि की समाप्ति हो जाने पर भी, हिन्दी के अतिरिक्त अंग्रेजी भाषा, नियत दिन से ही,
ए. संघ के उन सब राजकीय प्रयोजनों के लिए जिनके लिए वह उस दिन से ठीक पहले प्रयोग में लाई जाती थी ; तथा
बी.संसद में कार्य के संव्यवहार के लिए प्रयोग में लाई जाती रह सकेगी :
परंतु संघ और किसी ऐसे राज्य के बीच, जिसने हिन्दी को अपनी राजभाषा के रूप में नहीं अपनाया है, पत्रादि के प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा प्रयोग में लाई जाएगीः
परन्तु यह और कि जहां किसी ऐसे राज्य के, जिसने हिन्दी को अपनी राजभाषा के रूप में अपनाया
है और किसी अन्य राज्य के, जिसने हिन्दी को
अपनी राजभाषा के रूप में नहीं अपनाया है, बीच पत्रादि के प्रयोजनों के लिए हिन्दी को प्रयोग में लाया जाता है, वहां हिन्दी में ऐसे पत्रादि के साथ-साथ उसका अनुवाद अंग्रेजी भाषा में भेजा जाएगा :
परन्तु यह और भी कि इस उपधारा की किसी भी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह किसी ऐसे राज्य को, जिसने हिन्दी को अपनी राजभाषा के रूप में नहीं अपनाया है, संघ के साथ या किसी ऐसे राज्य के साथ, जिसने हिन्दी को अपनी राजभाषा के रूप में अपनाया है, या किसी अन्य राज्य के साथ, उसकी सहमति से, पत्रादि के प्रयोजनों के लिए हिन्दी को प्रयोग में लाने से निवारित करती है, और ऐसे किसी मामले में उस राज्य के साथ पत्रादि के प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग बाध्यकर न होगा ।
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- उपधारा (1) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, जहां पत्रादि के प्रयोजनों के लिए हिन्दी या अंग्रेजी भाषा--
- केन्द्रीय सरकार के एक मंत्रालय या विभाग या कार्यालय के और दूसरे मंत्रालय या विभाग या कार्यालय के बीच ;
- केन्द्रीय सरकार के एक मंत्रालय या विभाग या कार्यालय के और केन्द्रीय सरकार के स्वामित्व में के या नियंत्रण में के किसी निगम या कम्पनी या उसके किसी कार्यालय के बीच ;
- केन्द्रीय सरकार के स्वामित्व में के या नियंत्रण में के किसी निगम या कम्पनी या उसके किसी कार्यालय के और किसी अन्य ऐसे निगम या कम्पनी या कार्यालय के बीच ;
प्रयोग में लाई जाती है वहां उस तारीख तक, जब तक पूर्वोक्त संबंधित मंत्रालय, विभाग, कार्यालय या विभाग या कम्पनी का कर्मचारीवृद हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त नहीं कर लेता, ऐसे पत्रादि का अनुवाद, यथास्थिति, अंग्रेजी भाषा या हिन्दी में भी दिया जाएगा।
- उपधारा (1)में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी हिन्दी और अंग्रेजी भाषा दोनों ही--
- उपधारा (1) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, जहां पत्रादि के प्रयोजनों के लिए हिन्दी या अंग्रेजी भाषा--
संकल्पों, साधारण आदेशों, नियमों, अधिसूचनाओं, प्रशासनिक या अन्य प्रतिवेदनों या प्रेस विज्ञप्तियों के लिए, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा या उसके किसी मंत्रालय, विभाग या कार्यालय द्वारा या केन्द्रीय सरकार के स्वामित्व में के या नियंत्रण में के किसी निगम या कम्पनी द्वारा या ऐसे निगम या कम्पनी के किसी कार्यालय द्वारा निकाले जाते हैं या किए जाते हैं ;
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- संसद के किसी सदन या सदनों के समक्ष रखे गए प्रशासनिक तथा अन्य प्रतिवेदनों और राजकीय कागज-पत्रों के लिए ;
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- केन्द्रीय सरकार या उसके किसी मंत्रालय, विभाग या कार्यालय द्वारा या उसकी ओर से या केन्द्रीय सरकार के स्वामित्व में के या नियंत्रण में के किसी निगम या
कम्पनी द्वारा या ऐसे निगम या कम्पनी के किसी कार्यालय द्वारा निष्पादित संविदाओं और करारों के लिए तथा निकाली गई अनुज्ञप्त्िायों,अनुज्ञापत्रों, सूचनाओं और निविदा-प्ररूपों के लिए, प्रयोग में लाई जाएगी।
- केन्द्रीय सरकार या उसके किसी मंत्रालय, विभाग या कार्यालय द्वारा या उसकी ओर से या केन्द्रीय सरकार के स्वामित्व में के या नियंत्रण में के किसी निगम या
- उपधारा (1)या उपधारा (2) या उपधारा (3) के उपबन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना यह है कि केन्द्रीय सरकार धारा 8 के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा उस भाषा या उन भाषाओं का उपबन्ध कर सकेगी जिसे या जिन्हें संघ के राजकीय प्रयोजन के लिए, जिसके अन्तर्गत किसी मंत्रालय,विभाग, अनुभाग या कार्यालय का कार्यकरण है, प्रयोग में लाया जाना है और ऐसे नियम बनाने में राजकीय कार्य के शीघ्रता और दक्षता के साथ निपटारे का तथा जन साधारण के हितों का सम्यक ध्यान रखा जाएगा और इस प्रकार बनाए गए नियम विशिष्टतया यह सुनिश्चित करेंगे कि जो व्यक्ति संघ के कार्यकलाप के सम्बन्ध में सेवा कर रहे हैं और जो या तो हिन्दी में या अंग्रेजी भाषा में प्रवीण हैं वे प्रभावी रूप से अपना काम कर सकें और यह भी कि केवल इस आधार पर कि वे दोनों ही भाषाओं में प्रवीण नहीं है उनका कोई अहित नहीं होता है।
- उपधारा (1)के खंड (क) के उपबन्ध और उपधारा (2), उपधारा (3) और उपधारा (4), के उपबन्ध तब तक प्रवृत्त बने रहेंगे जब तक उनमें वर्णित प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग समाप्त कर देने के लिए ऐसे सभी राज्यों के विधान मण्डलों द्वारा, जिन्होंने हिन्दी को अपनी राजभाषा के रूप में नहीं अपनाया है, संकल्प पारित नहीं कर दिए जाते और जब तक पूर्वोक्त संकल्पों पर विचार कर लेने के पश्चात् ऐसी समाप्ति के लिए संसद के हर एक सदन द्वारा संकल्प पारित नहीं कर दिया जाता।
-
4. राजभाषा के सम्बन्ध में समिति -
1.जिस तारीख को धारा 3 प्रवृत्त होती है उससे दस वर्ष की समाप्ति के पश्चात, राजभाषा के सम्बन्ध में एक समिति, इस विषय का संकल्प संसद के किसी भी सदन में राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी से प्रस्तावित और दोनों सदनों द्वारा पारित किए जाने पर, गठित की जाएगी।
2.इस समिति में तीस सदस्य होंगे जिनमें से बीस लोक सभा के सदस्य होंगे तथा दस राज्य सभा के सदस्य होंगे, जो क्रमशः लोक सभा के सदस्यों तथा राज्य सभा के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा निर्वाचित होंगे।
3.इस समिति का कर्तव्य होगा कि वह संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए हिन्दी के प्रयोग में की
गई प्रगति का पुनर्विलोकन करें और उस पर सिफारिशें करते हुए राष्ट्रपति को प्रतिवेदन करें और राष्ट्रपति उस प्रतिवेदन को संसद् के हर एक सदन के समक्ष रखवाएगा और सभी राज्य सरकारों को भिजवाएगा ।
4.राष्ट्रपति उपधारा (3) में निर्दिष्ट प्रतिवेदन पर और उस पर राज्य सरकारों ने यदि कोई मत अभिव्यक्त किए हों तो उन पर विचार करने के पश्चात् उस समस्त प्रतिवेदन के या उसके किसी भाग के अनुसार निदेश निकाल सकेगा :
परन्तु इस प्रकार निकाले गए निदेश धारा 3 के उपबन्धों से असंगत नहीं होंगे ।
5.केन्द्रीय अधिनियमों आदि का प्राधिकृत हिन्दी अनुवाद-
- नियत दिन को और उसके पश्चात् शासकीय राजपत्र में राष्ट्रपति के प्राधिकार से प्रकाशित--
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- किसी केन्द्रीय अधिनियम का या राष्ट्रपति द्वारा प्रख्यापित किसी अध्यादेश का, अथवा
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बी. संविधान के अधीन या किसी केन्द्रीय अधिनियम के अधीन निकाले गए किसी आदेश, नियम, विनियम या उपविधि का हिन्दी में अनुवाद उसका हिन्दी में प्राधिकृत पाठ समझा जाएगा ।
- नियत दिन से ही उन सब विधेयकों के, जो संसद के किसी भी सदन में पुरःस्थापित किए जाने हों और उन सब संशोधनों के, जो उनके समबन्ध में संसद के किसी भी सदन में प्रस्तावित किए जाने हों, अंग्रेजी भाषा के प्राधिकृत पाठ के साथ-साथ उनका हिन्दी में अनुवाद भी होगा जो ऐसी रीति से प्राधिकृत किया जाएगा, जो इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित की जाए।
6.कतिपय दशाओं में राज्य अधिनियमों का प्राधिकृत हिन्दी अनुवाद-
जहां किसी राज्य के विधानमण्डल ने उस राज्य के विधानमण्डल द्वारा पारित अधिनियमों में अथवा उस राज्य के राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित अध्यादेशों में प्रयोग के लिए हिन्दी से भिन्न कोई भाषा विहित की है वहां, संविधान के अनुच्छेद 348 के खण्ड (3) द्वारा अपेक्षित अंग्रेजी भाषा में उसके अनुवाद के अतिरिक्त, उसका हिन्दी में अनुवाद उस राज्य के शासकीय राजपत्र में, उस राज्य के राज्यपाल के प्राधिकार से, नियत दिन को या उसके पश्चात् प्रकाशित किया जा सकेगा और ऐसी दशा में ऐसे किसी अधिनियम या अध्यादेश का हिन्दी में अनुवाद हिन्दी भाषा में उसका प्राधिकृत पाठ समझा जाएगा।
7.उच्च न्यायालयों के निर्णयों आदि में हिन्दी या अन्य राजभाषा का वैकल्पिक प्रयोग-
नियत दिन से ही या तत्पश्चात् किसी भी दिन से किसी राज्य का राज्यपाल, राष्ट्रपति की पूर्व सम्मति से, अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त हिन्दी या उस राज्य की राजभाषा का प्रयोग, उस राज्य के उच्च न्यायालय द्वारा पारित या दिए गए किसी निर्णय, डिक्री या आदेश के प्रयोजनों के लिए प्राधिकृत कर सकेगा और जहां कोई निर्णय, डिक्री या आदेश (अंग्रेजी भाषा से भिन्न) ऐसी किसी भाषा में पारित किया या दिया जाता है वहां उसके साथ-साथ उच्च न्यायालय के प्राधिकार से निकाला गया अंग्रेजी भाषा में उसका अनुवाद भी होगा।
8.नियम बनाने की शक्ति -
1.केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए नियम, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, बना सकेगी ।
2.इस धारा के अधीन बनाया गया हर नियम, बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद के हर एक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा। वह अवधि एक सत्र में, अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रममिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात वह ऐसे परिवर्तित रुप में ही प्रभावी होगा । यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात यह निस्प्रभाव हो जाएगा । किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निस्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।
- कतिपय उपबन्धों का जम्मू-कश्मीर को लागू न होना-
धारा 6 और धारा 7 के उपबन्ध जम्मू-कश्मीर राज्य को लागू न होंगे।
राजभाषा संकल्प 1968+
राजभाषा संकल्प-1968
संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित निम्नलिखित सरकारी संकल्प आम जानकारी के लिए प्रकाशित किया जाता है –
संकल्प
जब‡क संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार संघ की राजभाषा हिंदी रहेगी और उसके अनुच्छेद 351 के अनुसार हिंदी भाषा का प्रसार, वृद्धि करना और उसका विकास करना ताकि वह भारत की सामासिक संस्कृति के सब तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम हो सके, संघ का कर्तव्य है :
यह सभा संकल्प करती है कि हिंदी के प्रसार एंव विकास की गति बढ़ाने के हेतु तथा संघ के विभिन्न राजकीय प्रयोजनों के लिए उत्तरोत्तर इसके प्रयोग हेतु भारत सरकार द्वारा एक अधिक गहन एवं व्यापक कार्यक्रम तैयार किया जाएगा और उसे कार्यान्वित किया जाएगा और किए जाने वाले उपायों एवं की जाने वाली प्रगति की विस्तृत वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट संसद की दोनों सभाओं के पटल पर रखी जाएगी और सब राज्य सरकारों को भेजी जाएगी ।
- जबकि संविधान की आठवीं अनुसूची में हिंदी के अतिरिक्त भारत की 21 मुख्य भाषाओं का उल्लेख किया गया है , और देश की शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक उन्नति के लिए यह आवश्यक है कि इन भाषाओं के पूर्ण विकास हेतु सामूहिक उपाए किए जाने चाहिए :
यह सभा संकल्प करती है कि हिंदी के साथ-साथ इन सब भाषाओं के समन्वित विकास हेतु भारत सरकार द्वारा राज्य सरकारों के सहयोग से एक कार्यक्रम तैयार किया जाएगा और उसे कार्यान्वित किया जाएगा ताकि वे शीघ्र समृद्ध हो और आधुनिक ज्ञान के संचार का प्रभावी माध्यम बनें । - जबकि एकता की भावना के संवर्धन तथा देश के विभिन्न भागों में जनता में संचार की सुविधा हेतु यह आवश्यक है कि भारत सरकार द्वारा राज्य सरकारों के परामर्श से तैयार किए गए त्रि-भाषा सूत्र को सभी राज्यों में पूर्णत कार्यान्वित करने के लिए प्रभावी किया जाना चाहिए :
यह सभा संकल्प करती है कि हिंदी भाषी क्षेत्रों में हिंदी तथा अंग्रेजी के अतिरिक्त एक आधुनिक भारतीय भाषा के, दक्षिण भारत की भाषाओं में से किसी एक को तरजीह देते हुए, और अहिंदी भाषी क्षेत्रों में प्रादेशिक भाषाओं एवं अंग्रेजी के साथ साथ हिंदी के अध्ययन के लिए उस सूत्र के अनुसार प्रबन्ध किया जाना चाहिए । - और जबकि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि संघ की लोक सेवाओं के विषय में देश के विभिन्न भागों के लोगों के न्यायोचित दावों और हितों का पूर्ण परित्राण किया जाए
यह सभा संकल्प करती है कि-- कि उन विशेष सेवाओं अथवा पदों को छोड़कर जिनके लिए ऐसी किसी सेवा अथवा पद के कर्त्तव्यों के संतोषजनक निष्पादन हेतु केवल अंग्रेजी अथवा केवल हिंदी अथवा दोनों जैसी कि स्थिति हो, का उच्च स्तर का ज्ञान आवश्यक समझा जाए, संघ सेवाओं अथवा पदों के लिए भर्ती करने हेतु उम्मीदवारों के चयन के समय हिंदी अथवा अंग्रेजी में से किसी एक का ज्ञान अनिवार्यत होगा; और
- कि परीक्षाओं की भावी योजना, प्रक्रिया संबंधी पहलुओं एवं समय के विषय में संघ लोक सेवा आयोग के विचार जानने के पश्चात अखिल भारतीय एवं उच्चतर केन्द्रीय सेवाओं संबंधी परीक्षाओं के लिए संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित सभी भाषाओं तथा अंग्रेजी को वैकल्पिक माध्यम के रूप में रखने की अनुमति होगी ।”
राजभाषा नियम 1976+
राजभाषा नियम-1976
राजभाषा(संघ के शासकीय प्रयोजन हेतु प्रयोग)
(यथा संशोधित 1987, 2007 तथा 2011)
सा.का.नि. 1052 --राजभाषा अधिनियम, 1963 (1963 का 19) की धारा 3 की उपधारा (4) के साथ पठित धारा 8 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केन्द्रीय सरकार निम्नलिखित नियम बनाती है, अर्थातः-
- संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ--
- इन नियमों का संक्षिप्त नाम राजभाषा (संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग) नियम, 1976 है।
- इनका विस्तार, तमिलनाडु राज्य के सिवाय सम्पूर्ण भारत पर है।
- ये राजपत्र में प्रकाशन की तारीख को प्रवृत्त होंगे।
- परिभाषाएं-- इन नियमों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न होः-
-
- 'अधिनियम' से राजभाषा अधिनियम, 1963 (1963 का 19) अभिप्रेत है;
- 'केन्द्रीय सरकार के कार्यालय' के अन्तर्गत निम्नलिखित भी है, अर्थातः-
- केन्द्रीय सरकार का कोई मंत्रालय, विभाग या कार्यालय;
- केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त किसी आयोग, समिति या अधिकरण का कोई कार्यालय; और
- केन्द्रीय सरकार के स्वामित्व में या नियंत्रण के अधीन किसी निगम या कम्पनी का कोई कार्यालय;
- 'कर्मचारी' से केन्द्रीय सरकार के कार्यालय में नियोजित कोई व्यक्ति अभिप्रेत है;
- 'अधिसूचित कार्यालय' से नियम 10 के उपनियम (4) के अधीन अधिसूचित कार्यालय, अभिप्रेत है;
- 'हिन्दी में प्रवीणता' से नियम 9 में वर्णित प्रवीणता अभिप्रेत है ;
- 'क्षेत्र क' से बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड़, उत्तराखंड राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्य तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र अभिप्रेत है;
- 'क्षेत्र ख' से गुजरात, महाराष्ट्र और पंजाब राज्य तथा चंडीगढ़, दमण और दीव तथा दादरा और नगर हवेली संघ राज्य क्षेत्र अभिप्रेत हैं;
- 'क्षेत्र ग' से खंड (च) और (छ) में निर्दिष्ट राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों से भिन्न राज्य तथा संघ राज्य क्षेत्र अभिप्रेत है;
- हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान' से नियम 10 में वर्णित कार्यसाधक ज्ञान अभिप्रेत है ।
- राज्यों आदि और केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों से भिन्न कार्यालयों के साथ पत्रादि-
- केन्द्रीय सरकार के कार्यालय से क्षेत्र 'क' में किसी राज्य या संघ राज्य क्षेत्र को या ऐसे राज्य या संघ राज्य क्षेत्र में किसी कार्यालय (जो केन्द्रीय सरकार का कार्यालय न हो) या व्यक्ति को पत्रादि असाधारण दशाओं को छोड़कर हिन्दी में होंगे और यदि उनमें से किसी को कोई पत्रादि अंग्रेजी में भेजे जाते हैं तो उनके साथ उनका हिन्दी अनुवाद भी भेजा जाएगा।
- केन्द्रीय सरकार के कार्यालय से--
- क्षेत्र 'ख' में किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र को या ऐसे राज्य या संघ राज्य क्षेत्र में किसी कार्यालय (जो केन्द्रीय सरकार का कार्यालय न हो) को पत्रादि सामान्यतया हिन्दी में होंगे और यदि इनमें से किसी को कोई पत्रादि अंग्रेजी में भेजे जाते हैं तो उनके साथ उनका हिन्दी अनुवाद भी भेजा जाएगाः परन्तु यदि कोई ऐसा राज्य या संघ राज्य क्षेत्र यह चाहता है कि किसी विशिष्ट वर्ग या प्रवर्ग के पत्रादि या उसके किसी कार्यालय के लिए आशयित पत्रादि संबद्ध राज्य या संघ राज्यक्षेत्र की सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट अवधि तक अंग्रेजी या हिन्दी में भेजे जाएं और उसके साथ दूसरी भाषा में उसका अनुवाद भी भेजा जाए तो ऐसे पत्रादि उसी रीति से भेजे जाएंगे ;
- क्षेत्र 'ख' के किसी राज्य या संघ राज्य क्षेत्र में किसी व्यक्ति को पत्रादि हिन्दी या अंग्रेजी में भेजे जा सकते हैं।
- केन्द्रीय सरकार के कार्यालय से क्षेत्र 'ग' में किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र को या ऐसे राज्य में किसी कार्यालय (जो केन्द्रीय सरकार का कार्यालय न हो)या व्यक्ति को पत्रादि अंग्रेजी में होंगे।
- उप नियम (1) और (2) में किसी बात के होते हुए भी, क्षेत्र 'ग' में केन्द्रीय सरकार के कार्यालय से क्षेत्र 'क'या'ख'में किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र को या ऐसे राज्य में किसी कार्यालय (जो केन्द्रीय सरकार का कार्यालय न हो) या व्यक्ति को पत्रादि हिन्दी या अंग्रेजी में हो सकते हैं । परन्तु हिन्दी में पत्रादि ऐसे अनुपात में होंगे जो केन्द्रीय सरकार ऐसे कार्यालयों में हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों की संख्या,हिन्दी में पत्रादि भेजने की सुविधाओं और उससे आनुषंगिक बातों को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर अवधारित करे।
4. केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों के बीच पत्रादि-
-
-
- केन्द्रीय सरकार के किसी एक मंत्रालय या विभाग और किसी दूसरे मंत्रालय या विभाग के बीच पत्रादि हिन्दी या अंग्रेजी में हो सकते हैं;
-
b. केन्द्रीय सरकार के एक मंत्रालय या विभाग और क्षेत्र 'क' में स्थित संलग्न या अधीनस्थ कार्यालयों के बीच पत्रादि हिन्दी में होंगे और ऐसे अनुपात में होंगे जो केन्द्रीय सरकार, ऐसे कार्यालयों में हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों की संख्या, हिन्दी में पत्रादि भेजने की सुविधाओं और उससे संबंधित आनुषंगिक बातों को ध्यान में रखते हुए, समय-समय पर अवधारित करे;
c. क्षेत्र 'क' में स्थित केन्द्रीय सरकार के ऐसे कार्यालयों के बीच, जो खण्ड (क) या खण्ड (ख) में विनिर्दिष्ट कार्यालयों से भिन्न हैं, पत्रादि हिन्दी में होंगे;
d. क्षेत्र 'क' में स्थित केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों और क्षेत्र 'ख' या 'ग'में स्थित केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों के बीच पत्रादि हिन्दी या अंग्रेजी में हो सकते हैं;
परन्तु ये पत्रादि हिन्दी में ऐसे अनुपात में होंगे जो केन्द्रीय सरकार ऐसे कार्यालयों में हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों की संख्या,हिन्दी में पत्रादि भेजने की सुविधाओं और उससे आनुषंगिक बातों को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर अवधारित करे ;
-
- क्षेत्र 'ख' या 'ग' में स्थित केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों के बीच पत्रादि हिन्दी या अंग्रेजी में हो सकते हैं;
परन्तु ये पत्रादि हिन्दी में ऐसे अनुपात में होंगे जो केन्द्रीय सरकार ऐसे कार्यालयों में हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों की संख्या,हिन्दी में पत्रादि भेजने की सुविधाओं और उससे आनुषंगिक बातों को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर अवधारित करे ;
परन्तु जहां ऐसे पत्रादि--
-
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- क्षेत्र 'क' या क्षेत्र 'ख' किसी कार्यालय को संबोधित हैं वहां यदि आवश्यक हो तो, उनका दूसरी भाषा में अनुवाद, पत्रादि प्राप्त करने के स्थान पर किया जाएगा;
- क्षेत्र 'ग' में किसी कार्यालय को संबोधित है वहां, उनका दूसरी भाषा में अनुवाद, उनके साथ भेजा जाएगा;
परन्तु यह और कि यदि कोई पत्रादि किसी अधिसूचित कार्यालय को संबोधित है तो दूसरी भाषा में ऐसा अनुवाद उपलब्ध कराने की अपेक्षा नहीं की जाएगी ।
-
5. हिन्दी में प्राप्त पत्रादि के उत्तर--
नियम 3 और नियम 4 में किसी बात के होते हुए भी, हिन्दी में पत्रादि के उत्तर केन्द्रीय सरकार के कार्यालय से हिन्दी में दिए जाएंगे ।
- हिन्दी और अंग्रेजी दोनों का प्रयोग-
अधिनियम की धारा 3 की उपधारा (3) में निर्दिष्ट सभी दस्तावेजों के लिए हिन्दी और अंग्रेजी दोनों का प्रयोग किया जाएगा और ऐसे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों का यह उत्तरदायित्व होगा कि वे यह सुनिश्चित कर लें कि ऐसी दस्तावेजें हिन्दी और अंग्रेजी दोनों ही में तैयार की जाती हैं, निष्पादित की जाती हैं और जारी की जाती हैं।
7. आवेदन, अभ्यावेदन आदि-
1. कोई कर्मचारी आवेदन, अपील या अभ्यावेदन हिन्दी या अंग्रेजी में कर सकता है।
2. जब उपनियम (1) में विनिर्दिष्ट कोई आवेदन, अपील या अभ्यावेदन हिन्दी में किया गया हो या उस पर हिन्दी में हस्ताक्षर किए गए हों, तब उसका उत्तर हिन्दी में दिया जाएगा।
3. यदि कोई कर्मचारी यह चाहता है कि सेवा संबंधी विषयों (जिनके अन्तर्गत अनुशासनिक कार्यवाहियां भी हैं) से संबंधित कोई आदेश या सूचना,जिसका कर्मचारी पर तामील किया
जाना अपेक्षित है, यथास्थिति, हिन्दी या अंग्रेजी में होनी चाहिए तो वह उसे असम्यक विलम्ब के बिना उसी भाषा में दी जाएगी।
8. केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों में टिप्पणों का लिखा जाना -
1. कोई कर्मचारी किसी फाइल पर टिप्पण या कार्यवृत्त हिंदी या अंग्रेजी में लिख सकता है और उससे यह अपेक्षा नहीं की जाएगी कि वह उसका अनुवाद दूसरी भाषा में प्रस्तुत करे।
2. केन्द्रीय सरकार का कोई भी कर्मचारी, जो हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखता है, हिन्दी में किसी दस्तावेज के अंग्रेजी अनुवाद की मांग तभी कर सकता है, जब वह दस्तावेज विधिक या तकनीकी प्रकृति का है, अन्यथा नहीं।
3. यदि यह प्रश्न उठता है कि कोई विशिष्ट दस्तावेज विधिक या तकनीकी प्रकृति का है या नहीं तो विभाग या कार्यालय का प्रधान उसका विनिश्चय करेगा।
4. उपनियम (1) में किसी बात के होते हुए भी, केन्द्रीय सरकार, आदेश द्वारा ऐसे अधिसूचित कार्यालयों को विनिर्दिष्ट कर सकती है जहां ऐसे कर्मचारियों द्वारा,जिन्हें हिन्दी में प्रवीणता प्राप्त है, टिप्पण, प्रारूपण और ऐसे अन्य शासकीय प्रयोजनों के लिए, जो आदेश में विनिर्दिष्ट किए जाएं, केवल हिन्दी का प्रयोग किया जाएगा ।
9.हिन्दी में प्रवीणता-
यदि किसी कर्मचारी ने-
a. मैट्रिक परीक्षा या उसकी समतुल्य या उससे उच्चतर कोई परीक्षा हिन्दी के माध्यम से उत्तीर्ण कर ली है;या
b. स्नातक परीक्षा में अथवा स्नातक परीक्षा की समतुल्य या उससे उच्चतर किसी अन्य परीक्षा में हिन्दी को एक वैकल्पिक विषय के रूप में लिया हो; या
c. यदि वह इन नियमों से उपाबद्ध प्ररूप में यह घोषणा करता है कि उसे हिन्दी में प्रवीणता प्राप्त है;
तो उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसने हिन्दी में प्रवीणता प्राप्त कर ली है ।
10. हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान-
1.a.यदि किसी कर्मचारी ने-
i. मैट्रिक परीक्षा या उसकी समतुल्य या उससे उच्चतर परीक्षा हिन्दी विषय के साथ उत्तीर्ण कर ली है; या
ii. केन्द्रीय सरकार की हिन्दी परीकाा योजना के अन्तर्गत आयोजित प्राज्ञ परीक्षा या यदि उस सरकार द्वारा किसी विशिष्ट प्रवर्ग के पदों के सम्बन्ध में उस योजना के अन्तर्गत कोई निम्नतर परीक्षा विनिर्दिष्ट है, वह परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है;या
iii. केन्द्रीय सरकार द्वारा उस निमित्त विनिर्दिष्ट कोई अन्य परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है; या
-
-
- यदि वह इन नियमों से उपाबद्ध प्ररूप में यह घोषणा करता है कि उसने ऐसा ज्ञान प्राप्त कर लिया है;
तो उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसने हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कर लिया है।
- यदि वह इन नियमों से उपाबद्ध प्ररूप में यह घोषणा करता है कि उसने ऐसा ज्ञान प्राप्त कर लिया है;
-
2. यदि केन्द्रीय सरकार के किसी कार्यालय में कार्य करने वाले कर्मचारियों में से अस्सी प्रतिशत ने हिन्दी का ऐसा ज्ञान प्राप्त कर लिया है तो उस कार्यालय के कर्मचारियों के बारे में सामान्यतया यह समझा जाएगा कि उन्होंने हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कर लिया है।
3. केन्द्रीय सरकार या केन्द्रीय सरकार द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट कोई अधिकारी यह अवधारित कर सकता है कि केन्द्रीय सरकार के किसी कार्यालय के कर्मचारियों ने हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कर लिया है या नहीं।
4. केन्द्रीय सरकार के जिन कार्यालयों में कर्मचारियों ने हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कर लिया है उन कार्यालयों के नाम राजपत्र में अधिसूचित किए जाएंगे;
परन्तु यदि केन्द्रीय सरकार की राय है कि किसी अधिसूचित कार्यालय में काम करने वाले और हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखने वाले कर्मचारियों का प्रतिशत किसी तारीख में से
उपनियम (2) में विनिर्दिष्ट प्रतिशत से कम हो गया है, तो वह राजपत्र में अधिसूचना द्वारा घोषित कर सकती है कि उक्त कार्यालय उस तारीख से अधिसूचित कार्यालय नहीं रह जाएगा ।
11. मैनुअल, संहिताएं, प्रक्रिया संबंधी अन्य साहित्य, लेखन सामग्री आदि-
-
- केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों से संबंधित सभी मैनुअल, संहिताएं और प्रक्रिया संबंधी अन्य साहित्य, हिन्दी और अंग्रेजी में द्विभाषिक रूप में यथास्थिति, मुद्रित या साइक्लोस्टाइल किया जाएगा और प्रकाशित किया जाएगा।
- केन्द्रीय सरकार के किसी कार्यालय में प्रयोग किए जाने वाले रजिस्टरों के प्ररूप और शीर्षक हिन्दी और अंग्रेजी में होंगे।
- केन्द्रीय सरकार के किसी कार्यालय में प्रयोग के लिए सभी नामपट्ट, सूचना पट्ट, पत्रशीर्ष और लिफाफों पर उत्कीर्ण लेख तथा लेखन सामग्री की अन्य मदें हिन्दी और अंग्रेजी में लिखी जाएंगी, मुद्रित या उत्कीर्ण होंगी;
परन्तु यदि केन्द्रीय सरकार ऐसा करना आवश्यक समझती है तो वह, साधारण या विशेष आदेश द्वारा, केन्द्रीय सरकार के किसी कार्यालय को इस नियम के सभी या किन्हीं उपबन्धों से छूट दे सकती है।
12. अनुपालन का उत्तरदायित्व-
1. केन्द्रीय सरकार के प्रत्येक कार्यालय के प्रशासनिक प्रधान का यह उत्तरदायित्व होगा कि वह--
-
-
- यह सुनिश्चित करे कि अधिनियम और इन नियमों के उपबंधों और उपनियम (2) के अधीन जारी किए गए निदेशों का समुचित रूप से अनुपालन हो रहा है;और
- इस प्रयोजन के लिए उपयुक्त और प्रभावकारी जांच के लिए उपाय करे ।
-
2.केन्द्रीय सरकार अधिनियम और इन नियमों के उपबन्धों के सम्यक अनुपालन के लिए अपने कर्मचारियों और कार्यालयों को समय-समय पर आवश्यक निदेश जारी कर सकती है ।
संघ की राजभाषा नीति+
संघ की राजभाषा नीति
संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी है । संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतराष्ट्रीय रूप है {संविधान का अनुच्छेद 343 (1)}। परन्तु हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी भाषा का प्रयोग भी सरकारी कामकाज में किया जा सकता है (राजभाषा अधिनियम की धारा 3)।
संसद का कार्य हिंदी में या अंग्रेजी में किया जा सकता है । परन्तु राज्यसभा के सभापति महोदय या लोकसभा के अध्यक्ष महोदय विशेष परिस्थिति में सदन के किसी सदस्य को अपनी मातृभाषा में सदन को संबोधित करने की अनुमति दे सकते हैं। {संविधान का अनुच्छेद 120}
किन प्रयोजनों के लिए केवल हिंदी का प्रयोग किया जाना है, किन के लिए हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं का प्रयोग आवश्यक है और किन कार्यों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाना है, यह राजभाषा अधिनियम 1963, राजभाषा नियम 1976 और उनके अंतर्गत समय समय पर राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय की ओर से जारी किए गए निदेशों द्वारा निर्धारित किया गया है।
भाषायी क्षेत्र+
राजभाषा नियम, 1976 हिंदी केअनुमाननत ज्ञान केआधार पर देश केराज्यों/संघ शानसत प्रदेशों को तीन क्षेत्रों, यथा - क, ख, ग मेंपररभानित ककया गया िंै 1 राजभाषा नियम, 1976 • हिंदी के अनुमाननत ज्ञान के आधार पर देश के राज्यों/संघ शानसत प्रदेशों को तीन क्षेत्रों, यथा - क, ख, ग मेंपररभानित ककया गया िंै। 2 भाषा क्षेत्र राज्य/संघ राज्य ‘क’ बिहार, हररयाणा, हहमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड़, उत्तराखंड राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्य तथा अंडमान और ननकोिार द्वीप सम ूह, हदल्ली संघ राज्य हैं ‘ख’ ग ु जरात, महाराष्ट्र और पंजाि राज्य तथा चंडीगढ़, दमण और दीव तथा दादरा और नगर हवेली संघ राज्य ‘ग’ उपरोक्त ननहदिष्ट्ट राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों से भिन्न राज्य तथा संघ राज्य
भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में सम्मिलित भाषाएं+
भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में सम्मिलित भाषाएं
केंद्रीय हिन्दी समिति+
केंद्रीय हिन्दी समिति
यह समिति संविधान, राजभाषा अधिनियम, 1963 और राजभाषा नियम (संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग) 1976 में किए गए उपबंधों और सरकार द्वारा समय समय पर जारी किए गए निदेशों/अनुदेशों की पृष्ठभूमि में हिन्दी के प्रचार-प्रसार तथा सरकारी कामकाज में हिन्दी के प्रगामी प्रयोग के संबंध में भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा बनाए गए कार्यक्रमों और किए गए कार्यों का समन्वय करती है। यह समिति राजभाषा नीति के संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश देने वाली सर्वोच्च समिति है। प्रधानमंत्रीजी के अध्यक्षता में गठित इस समिति में प्रधानमंत्रीजी के अलावा कुछ प्रमुख केंद्रीय मंत्री, कुछ विशिष्ट विद्वान, सदस्य हैं। राजभाषा विभा के सचिव एवं भारत सरकार के हिन्दी सलाहकार इस समिति के सदस्य-सचिव हैं।
राजभाषा कार्यान्वयन समिति+
राजभाषा कार्यान्वयन समितियॉँ
हिन्दी के प्रगामी प्रयोग की समीक्षा करने के लिए प्रत्येक मंत्रालय/विभाग में एक-एक राजभाषा कार्यान्वयन समिति बनाई गई है जिसकी अध्यक्षता साधारणतया संयुक्त सचिव तथा कहीं –कहीं अपर सचिव स्तर के अधिकारी करते हैं। संबद्ध और अधीनस्थ कार्यालयों को छोड़कर जिनमें 25 अथवा उससे अधिक कर्मचारी हैं, राजभाषा कार्यान्वयन समितियॉँ बनाई गई हैं। यदि किसी विभाग के दो या उससे अधिक कार्यालय एक ही जगह पर हों तो उनकी सम्मिलित रूप से एक की समिति बनाई जा सकती है। इनकी बैठकें हर तिमाही में एक बार बुलाई जानी अपेक्षित हैं। बैठकों में राजभाषा अधिनियम 1963 और उसके अंतर्गत बने राजभाषा नियम 1976 तथा अन्य आदेशों के अनुसार हिन्दी के प्रयोग की स्थिति की समीक्षा की जाती है और कमियों को दूर करने के उपाय किए जाते हैं। इन समितियों में संबंधित विभाग या कार्यालय के ही अधिकारी सदस्य होतो हैं जो वहॉँ होने वाले कार्यों और वहॉँ की कठिनाइयों आदि से परिचित होते हैं और उनका हल सोच सकते हैं।
संसदीय राजभाषा समिति+
संसदीय राजभाषा समिति
संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए हिन्दी के प्रयोग में हुई प्रगति का पुनविलोकन के लिए राजभाषा अधिनियम 1963 की धारा 4 (1) के तहत सन् 1976 में संसदीय राजभाषा समिति का गठन किया । इस समिति में 30 सदस्य होंगे । 20 लोकसभा के और 10 राज्यसभा के सदस्य होंगे । जो क्रमश: लोकसभा एवं राज्यसभा के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल शंक्रमणीय मत द्वारा निर्वाचित होंगे । समिति के अध्यक्ष का चुनाव समिति के सदस्यों द्वारा किया जाता है । परंपरा के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्री को समय समय पर इसका अध्यक्ष चुना जाता है ।
समिति का यह कर्तव्य होगा कि संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए हिन्दी के प्रयोग में कि गई प्रगती का पुनविलोकन करें और उस पर सिफ़ारिश करते हुए राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें ।
हिन्दी सलाहकार समिति+
हिन्दी सलाहकार समिति
विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के संबंधित मंत्रियों की अध्यक्षता में हिन्दी सलाहकार समितियों का गठन किया गया है। ये समितियॉँ अपने अपने मंत्रालयों/उपक्रमों में हिन्दी की प्रगती की समीक्षा करती है, विभाग में हिन्दी को बढ़ाने के तरीके सोचती हैं और राजभाषा नीति के अनुपालन के लिए ठोस कदम उठती हैं। नियमानुसार इनकी बैठकें 3 महीने में एक बार अवश्य होनी चाहिए। इन समितियों की बैठकों में निम्नलिखित विषयों की जानकारी नियमित रूप से दिया जाना आवश्यक है:-
- नियमों के हिन्दी अनुवाद, द्विभाषी मुद्रण तथा वितरण की स्थिति,
- भर्ती तथा पदोन्नति आदि की परीक्षाओं में हिन्दी माध्यम के विकल्प की स्थिति,
- द्विभाषी इलेक्ट्रोनिक टेलीप्रिंटर/टेलेक्स की खरीद या लीज पर लेने की स्थिति,
- प्रशिक्षण संस्थानों में हिन्दी माध्यम से प्रशिक्षण देने की व्यवस्था तथा
- मंत्रालय और उसके संलग्न/अधीनस्थ कार्यालयों/उपक्रमों में हिन्दी के प्रयोग की स्थिति (निर्धारित प्रोफार्मा में)।
टोलिक+
नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियॉँ
बड़े–बड़े नगरों में जहॉँ केन्द्रीय सरकार के दस या उससे अधिक कार्यालय हैं वहॉँ नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों का गठन किया गया है। इनकी अध्यक्षता नगर के वरिष्ठतम अधिकारी करते है। इन समितियों की बैठकों में नगर में स्थित सभी केंद्रीय सरकारी कार्यालयों तथा उपक्रमों के प्रतिनिधि भाग लेते है, अपने-अपने कार्यालयों की तिमाही प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा करते है और हिन्दी के इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए सुझाव देते हैं। प्रारंभ में इन समितियों का गठन ‘क” तथा ‘ख’ दोनों क्षेत्रों में हुआ था, अब ‘ग’ में भी है।
राष्ट्रीयकृत बैंकों में हिन्दी के प्रगामी प्रयोग को गति देने के उद्देश्य से कुछ प्रमुख नगरों में अलग नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियॉँ गठित की गई हैं। संबंधित नगर में बैक का वरिष्टतम अधिकारी इस समिति का अध्यक्ष होता है तथा अपनी सुविधानुसार सदस्य-सचिव नामित करता है।
वार्षिक लेखा एवं प्रशासन रिपोर्ट+
वार्षिक लेखा एवं प्रशासन रिपोर्ट
प्रति वर्ष कार्यालय के प्रत्येक विभाग संबंधी शासकीय व परिचालन गतिविधियों को समाकलित कर प्रशासन रिपोर्ट हिन्दी एवं अंग्रेज़ी में दोनों भाषाओं में एक साथ प्रकाशित किया जाता है एवं साथ ही वर्ष के दौरान संगठन की वित्तीय स्थिति संबंधी विवरण व उसकी लेखापरीक्षा रिपोर्ट, लेखा पर अलग लेखा परीक्षा रिपोर्ट तथा अलग लेखा परीक्षा रिपोर्ट में लेखा पर उठाए गए टिप्पणियों पर अनुवर्ती कार्रवाई नोट आदि सभी रिपोर्ट द्विभाषी रूप में प्रकाशित किया जाता है एवं उन सभी रिपोर्ट को संगठन की न्यासी मण्डल की बैठक में प्रस्तुत कर बैठक की मंजूरी के साथ मंत्रालय एवं संसद के दोनों सदनों के पट्टल में प्रस्तुत किया जाता है।
तिमाही प्रगति रिपोर्ट एवं अनुवर्ती कार्रवाई+
तिमाही प्रगति रिपोर्ट एवं अनुवर्ती कार्रवाई
हिन्दी अनुभाग द्वारा कार्यालय में राजभाषा हिन्दी कार्यान्वयन संबंधी तिमाहीवार प्रगति को सुनिश्चित करते हुए प्रत्येक तिमाही की प्रगति रिपोर्ट कार्यालय प्रमुख के अनुमोदन व हस्ताक्षर से राजभाषा विभाग को ऑनलाइन प्रस्तुत किया जाता है। साथ ही उसकी प्रति मंत्रालय के सज्ञान और आवश्यक कार्रवाई हेतु अग्रेषित किया जाता है। तिमाही प्रगति रिपोर्ट पर राजभाषा विभाग व मंत्रालय की समीक्षा प्राप्त की जाती है एवं समीक्षा रिपोर्ट पर सुझाए गए बिन्दुओं पर अनुवर्ती कार्रवाई रिपोर्ट मंत्रालय को अग्रेषित किया जाता है।
अर्ध वार्षिक रिपोर्ट+
अर्धवार्षिक/वार्षिक रिपोर्ट
नराकास (उपक्रम),कोच्ची द्वारा निर्धारित प्रपत्र में कार्यालय के राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी अर्धवार्षिक व वार्षिक रिपोर्ट नियमित रूप से प्रस्तुत किया जाता है जिसके आधार पर हमारे कार्यालय को प्रतिवर्ष नराकास द्वारा राजभाषा कार्यान्वयन व गृह पत्रिका पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट+
वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट
वर्ष के दौरान कार्यालय में राजभाषायी कार्यान्वयन एवं इसके प्रचार-प्रसार हेतु किए गए विशेष पहल संबंधी ब्यौरा विनिर्दिष्ट प्रपत्र में मंत्रालय को प्रस्तुत किया जाता है जिसके मूल्यांकन के आधार पर मंत्रालय द्वारा राजभाषा शील्ड प्रदान किया जाता है। हमारे कार्यालय को समय-समय पर राजभाषा शील्ड से पुरस्कृत किया जाता है।
गृह पत्रिका+
गृह पत्रिका
राजभाषा हिन्दी में कर्मचारियों की सृजनात्मक प्रतिभा के विकास एवं कर्मचारियों के बच्चों की कलानैपुण्य को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से हिन्दी अनुभाग द्वारा पिछले कई दशकों से प्रति वर्ष हिन्दी गृह पत्रिका “कोचिन लहर’’ का निर्विघ्न प्रकाशन होता आ रहा है। इस पत्रिका में विभिन्न विषयों पर कर्मचारियों के रचनाधर्मी लेखों के साथ विभिन्न कार्यालयीन गतिविधियों जैसे कि राजभाषा कार्यान्वयन रिपोर्ट,सतर्कता जागरूकता रिपोर्ट, स्वच्छता पखवाड़ा रिपोर्ट, क्रीडा व संस्कृति रिपोर्ट, सुरक्षा रिपोर्ट आदि को शामिल किया जाता है एवं प्रति वर्ष हिन्दी पखवाड़ा समापन समारोह में अध्यक्ष द्वारा इसका लोकार्पण किया जाता है।
तिमाही समाचार पत्र+
तिमाही समाचार पत्र
प्रत्येक तिमाही में कार्यालय की गतिविधियां, महत्वपूर्ण घटनाएँ,विशिष्ट गणमान्य अतिथियों का दौरा, महत्वपूर्ण बैठकें,विशेष कार्यक्रम/उदघाटन आदि को समाविष्ट कर तिमाही समाचार पत्र अंग्रेज़ी व हिन्दी दोनों भाषाओं में प्रकाशित किया जाता है।
राजभाषा संदर्शिका+
राजभाषा संदर्शिका
कर्मचारियों को राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी सांविधानिक प्रावधान, संघ द्वारा जारी राजभाषा अधिनियम,नियम,विनियम आदि के बारे में अवगत कराने के उद्देश्य से हिन्दी अनुभाग द्वारा राजभाषा संदर्शिका लघु पुस्तक का प्रकाशन किया गया है साथ ही इसके पीडीएफ प्रति कर्मचारियों के कम्प्यूटरों में उपलब्ध कराया गया है।
कार्यालय सहायिका+
कार्यालय सहायिका
कार्यालय के प्रवीणता/कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कार्मिकों को दैनदिन कार्यालयीन गतिविधियों(पत्राचार एवं टिप्पण-आलेखन) में हिन्दी के प्रयोग को सहज बनाने के उद्देश्य से कार्यालय के शासकीय प्रयोगार्थ अक्सर आनेवाले पदबन्धों को समाविष्ट कर कार्यालय सहायिका पुस्तक का प्रकाशन किया गया एवं इसके ई-फाइल को कर्मचारियों के मध्य वितरित किया गया है जिससे कर्मचारीगण पदबन्धों के सटीक पर्याय का चयन कर मसौदा एवं पत्र लेखन आदि में प्रयोग करते हैं|
पत्तन शब्दावली+
पत्तन शब्दावली
हिन्दी अनुभाग द्वारा पत्तन के विभिन्न विभाग (चिकित्सा,सिविल/यांत्रिक अभियंत्रण,समुद्री,लेखा एवं यातायात आदि) से संबन्धित विभिन्न तकनीकी शब्दों का हिन्दी पर्याय को समाविष्ट करते हुए पत्तन शब्दावली का प्रकाशन किया गया है।
प्रशासनिक शब्दावली+
प्रशासनिक शब्दावली
प्रशासनिक क्षेत्र में अक्सर आनेवाले शब्दों को एक सामूहिक इकाई के रूप में प्रशासनिक शब्दावली का प्रकाशन किया गया है। इसके अतिरिक्त कर्मचारियों के कंप्यूटर पर ई-शब्दकोश उपलब्ध है जिसमें सभी प्रशासनिक शब्दों का हिन्दी पर्याय सहज उपलब्ध है।
राजभाषा पंचांग+
राजभाषा पंचांग
कायालय में राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में निरंतर प्रगति की राह पर पग भरते हुए एक विशेष पहल के रूप में राजभाषा पंचांग (डेस्कटॉप कैलैंडर) के प्रकाशन का योजना बनाई जा रही है जिसमें तिथियों के साथ-साथ संगठन के परिचालन परियोजना की छवी एवं राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी ध्यान योग्य बातों को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रबोध,प्राज्ञ,पारंगत+
प्रबोध/प्राज्ञ/पारंगत
केंद्र सरकार के सेवारत कर्मचारियों को कार्यालय में राजभाषा कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु हिन्दी शिक्षण योजना द्वारा सेवाकालीन भाषा प्रशिक्षण दिए जाने का विधान है। इसके अनुपालनार्थ हमारे कार्यालय के अधिकारियों /कर्मचारियों को प्रशिक्षण मानदंड के अनुसार हिन्दी शिक्षण योजना द्वारा संचालित हिन्दी प्रबोध/प्राज्ञ/पारंगत के नियतकालिक सत्र में नियमित रूप से नामित किया जाता है। कार्यालय के प्रशासनिक क्षेत्र से जुड़े कर्मचारियों के अलावा तकनीकी एवं परिचलालन विभाग संबंधी कर्मचारियों को भी प्रशिक्षण के लिए नामित किया जाता है। प्रशिक्षण सत्र में सर्वाधिक अंकों के साथ परीक्षा उत्तीर्ण होने पर कर्मचारियों को राजभाषा विभाग द्वारा यथा निर्धारित नकद पुरस्कार, 12 महीने के लिये एक वेतन वृद्धि एकमुश्त प्रदान की जाती है।
हिन्दी आशुलिपि एवं टंकण+
हिन्दी आशुलिपि/टंकण
हिन्दी शिक्षण योजना द्वारा दिए जा रहे हिन्दी आशुलिपि/टकण प्रशिक्षण सत्र में कर्मचारियों को नामित किए जाते हैं एवं उत्तीर्ण होने पर राजभाषा विभाग द्वारा यथा निर्धारित पुरस्कार मानदंड के अनुसार नकद पुरस्कार, 12 महीने के लिये वेतन वृद्धि एकमुश्त प्रदान की जाती है।
प्रोत्साहन योजनाएं+
प्रोत्साहन योजनाएं
कार्यालय में राजभाषा के सार्थक कार्यान्वयन एवं राजभाषा हिन्दी के प्रति कर्मचारियों की अभिरुची बढ़ाने हेतु राजभाषा विभाग द्वारा हिन्दी प्रशिक्षण के उपरांत लागू प्रोत्साहन योजनाओं के अलावा कुछ विशेष प्रोत्साहन योजनाओं(नकद पुरस्कार/राजभाषा ट्रॉफी) का शुभारंभ किया गया है:
- कार्यालय में राजभाषा विभाग द्वारा शुभारंभ के गए ‘12-प्र’ {1.प्रसार 2.प्रोत्साहन 3.प्रयास 4.प्रबंधन 5.प्राइज़ 6.प्रोन्नति 7.प्रचार 8.प्रशिक्षण 9.प्रेरणा 10.प्रतिबद्धता 11.प्रेम 12.प्रयोग } प्रोत्साहन योजना को लागू किया गया है।
- कार्यालयीन पत्राचार एवं फाइलों में हिन्दी में टिप्पण-आलेखन हेतु पोर्ट अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए नकद पुरस्कार
- गृह पत्रिका ‘कोचिन लहर’ में प्रकाशित पाठ्यसामग्री के लेखकों को राजभाषा शील्ड योजना
- हिन्दी पखवाड़ा के दौरान आयोजित प्रतियोगिता में सबसे अधिक पोयंट प्राप्त विभाग को 'चल वैजयंती पुरस्कार'
- हिन्दी में हस्ताक्षर योजना के तहत उपस्थिति रजिस्टर में हिन्दी में हस्ताक्षर करनेवाले कर्मियों को ट्रॉफी पुरस्कार
- हिन्दी में सराहनीय कार्य करने के उपलक्ष्य में श्रेष्ठ राजभाषा कर्मी पुरस्कार ।
समारोह+
समारोह
- गणतन्त्र दिवस समारोह
- सुरक्षा जागरूकता समारोह
- पोर्ट दिन समारोह
- स्वतन्त्रता दिवस समारोह
- हिन्दी पखवाड़ा समारोह
- स्वच्छता पखवाड़ा समारोह
- सतर्कता जागरूकता समारोह
कार्यालय द्वारा विभिन्न अवसरों पर आयोजित उपर्युक्त समारोहों में हिन्दी में संवाद-संभाषण व संदेश पाठन को प्राथमिकता दी जाती है और इन समारोह में शपथ पाठ मूल रूप से हिन्दी में लिया जाता है।
कार्यशाला/विशेष कार्यक्रम+
हिन्दी कार्यशाला
कार्यालयीन गतिविधियों में हिन्दी के प्रयोग में उत्तरोत्तर प्रगति हेतु कार्मिकों के लिए हर तिमाही में विभागीय शब्दावली/संदर्भ साहित्य एवं बोलचाल की हिन्दी शीर्षक पर विभागवार कार्यशालाएं आयोजित किया जाता है।
इसके अलावा कर्मचारियों को हिन्दी में कम्प्यूटरों पर अधिकाधिक कार्य करने हेतु “देवनागरी यूनिकोड” शीर्षक पर हिन्दी कंप्यूटर प्रशिक्षण कार्यशाला का भी आयोजित किया जाता है ।
कार्यशाला के समापन में कर्मचारियों की दक्षता को प्रोत्साहित करने के लिए विविध प्रतियोगिताएं संचालित की जाती है। प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया जाता है।
कार्यशाला के अंत में उपस्थित कर्मचारियों से कार्यशाला के संबंध में प्रतिपुष्टि प्राप्त किया जाता है एवं कार्यालयीन गतिविधियों में हिन्दी के कार्यान्वयन संबंधी समस्याओं पर विचार विमर्श कर उसका सहज समाधान किया जाता है।
राजभाषा प्रोत्साहन एवं प्रचार-प्रसार संबंधी विशेष कार्यक्रम
- कार्यालय के प्रत्येक विभाग के विशेषकर वरिष्ठ कार्यपालकों/कार्यपालकों को अपने अनुभागों में कर्मचारियों द्वारा हिन्दी में कार्य निष्पादन हेतु राजभाषा अधिनियम/नियम संबंधी सम्पूर्ण ज्ञान प्रदान करने के उद्देश्य से राजभाषा प्रबंधन वर्चूअल कार्यक्रम का आयोजन।
- कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त अधिकारियों /कर्मचारियों केलिए टिप्पण व आलेखन संबंधी समस्या एवं समाधान पर समूह चर्चा (वर्चूअल) कार्यक्रम का आयोजन।
- अधिकारियों/ कर्मचारियों केलिए राजभाषा चिंतन वर्चूअल बैठक का आयोजन ।
- प्रत्येक विभाग के विशेषकर नोडल अधिकारियों/प्रवीणता प्राप्त कर्मचारियों केलिए राजभाषा पुनश्चर्या वर्चूअल बैठक का आयोजन ।
- कार्यसाधक /प्रवीणता प्राप्त कर्मचारियों के लिए केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो,बंगलूरु के सहायक निदेशक (अनुवाद प्रशिक्षण)द्वारा समय-समय पर वर्चूअल हिन्दी अनुवाद प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन।
- कोचिन पोर्ट ट्रस्ट के अधिकारियों /कर्मचारियों के लिए हिन्दी संगोष्ठी (वर्चूअल) का आयोजन ।
- अधिकारियों/कर्मचारियों केलिए राजभाषा पुनश्चर्या वर्चूअल कार्यक्रम का आयोजन ।
- केंद्रीय विद्यालय ,पोर्ट ट्रस्ट के 12 वीं कक्षा के बच्चों के लिए राजभाषा हिन्दी में रोज़गार संवर्धन वर्चूअल कार्यक्रम का आयोजन ।
- यूनिवेर्सिटी कालेज,तिरुवनंतपुरम के विध्यार्थियों के लिए राजभाषा रोज़गार संवर्धन वर्चूअल कार्यक्रम का आयोजन ।
- कोचिन पोर्ट ट्रस्ट के अधिकारियों/कर्मचारियों केलिए राजभाषा प्रश्नोत्तरी वर्चूअल प्रतियोगिता के आयोजन।
- कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त अधिकारियों /कर्मचारियों केलिए राजभाषा जागरूकता एवं इसके सतत प्रायोगिक विकास पर समूह चर्चा बैठक (वर्चूअल) का आयोजन।
- आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के अवसर पर कोचिन पोर्ट ट्रस्ट के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दी का योगदान’ शीर्षक पर हिन्दी भाषण प्रतियोगिता(वर्चूअल) का आयोजन।
- प्रवीणता प्राप्त कर्मचारियों केलिए तकनीकी अनुवाद में राजभाषाई गतिशीलता संबंधी मार्गदर्शी व्याख्यान वर्चूअल बैठक का आयोजन।
- कोचिन पोर्ट ट्रस्ट के अधिकारियों /कर्मचारियों केलिए सहायक निदेशक (रा भा),रक्षा,अनुसंधान विकास संगठन,आंधप्रदेश द्वारा हिन्दी के क्रमिक विकास में सोशल मीडिया की भूमिका पर व्याख्यान वर्चूअल कार्यक्रम का आयोजन।
- अधिकारियों/कर्मचारियों केलिए राजभाषा की आगत संभावना संबंधी वैचारिक चिंतन वर्चूअल बैठक का आयोजन।
- कोचिन पोर्ट ट्रस्ट के अधिकारियों/कर्मचारियों केलिए आज़ादी का अमृत महोत्सव पर विशेष: स्वतंत्रता की कड़ी हिन्दी शीर्षक पर वर्चूअल बैठक का आयोजन।
हिन्दी पुस्तकालय+
हिन्दी पुस्तकालय
टोलिक गतिविधियां+
टोलिक गतिविधियां
हमारे कार्यालय नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (उपक्रम) के अधीन कार्यरत है। नराकास की अध्यक्षता प्रधान महाप्रबंधक, बी एस एन एल, कोच्ची को प्राप्त है। एक सदस्य कार्यालय होने के नाते नराकास की प्रत्येक बैठक में हमारे कार्यालय प्रमुख एवं हिन्दी कर्मियों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाती है ।
हमारे कार्यालय की राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी अर्धवार्षिक एवं वार्षिक रिपोर्ट निर्धारित प्रोफ़ार्मा में सचिव, नराकास को नियत तिथि में नियमित रूप से अग्रेषित किया जाता है एवं इसकी समीक्षा के आधार पर हमारे कार्यालय को हिन्दी कार्यान्वयन हेतु यथोचित पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।
हमारे कार्यालय की वार्षिक गृह पत्रिका को टोलिक द्वारा पत्रिका पुरस्कार योजना के अंतर्गत प्रतिवर्ष पुरस्कृत किया जाता है।
इसके अतिरिक्त टोलिक द्वारा आयोजित संयुक्त हिन्दी पखवाड़ा एवं समय समय पर विभिन्न प्रतियोगिताभीतिक कार्यक्रमों साथ ही टोलिक द्वारा आयोजित कार्यशालाओं और विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में हमारे कार्यालयों से अधिकारियों और कर्मचारियों की भागीदारिता सुनिश्चित की जाती है एवं प्रतियोगिताओं में हमारे विजेता कर्मचारियों को नराकास द्वारा पुरस्कृत किया जाता है।
अलावा इसके हमारे कार्यालय द्वारा आयोजित विभिन्न राजभाषा प्रोत्साहन संबंधी कार्याशालाओ एवं विशेष कार्यक्रमों में सचिव,नराकास को संकाय सदस्य/सम्माननीय अतिथि/मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है।
इस प्रकार हमारा कार्यालय नराकास (उपक्रम) कोच्ची के अधीन राजभाषा कार्यान्वयन में सर्वाधिक सक्रिय सदस्य कार्यालय है।
आशु टिप्पण लेखन+
आशु टिप्पण लेखन
पत्तन शब्दावली आशु टिप्पण लेखन+
राजभाषा उपलब्धियां/पुरस्कार+
राजभाषा उपलब्धियां/पुरस्कार
अक्तूबर सन् 1983, अपनी स्थापना काल से ही हिन्दी अनुभाग कार्यालय की राजभाषा कार्यान्वयन एवं राजभाषा के रूप में हिन्दी के प्रचार-प्रसार हेतु पूर्णत: समर्पित है। राजभाषा विभाग द्वारा जारी वार्षिक कार्यक्रम के अनुसार नियमित रूप से लक्ष्योपरी उपलब्धियां प्राप्त कर रही है। कर्मचारियों के सेवाकालीन प्रशिक्षण फिर चाहे वह हिन्दी भाषा का प्रशक्षण या टंकण-आशुलिपि का प्रशिक्षण हो, सभी में निरंतर सराहनीय प्रगति प्राप्त कर रहा है।
इसके अतिरिक्त हिन्दी अनुभाग द्वारा कार्मिकों को कंप्यूटर पर कार्य करने हेतु सक्षम बनाने के लिए यूनिकोड आधारित कंप्यूटर कार्यशाला के संचालन के अतिरिक्त विभिन्न राजभाषायी टूल्स एवं सॉफ्टवेअर संबंधी प्रशिक्षण दिया जाता है। कार्यालय के आधिकारिक वेबसाइट पूर्णत: द्विभाषी रूप में उपलब्ध है एवं कार्मिकों के बीच राजभाषायी कार्यान्वयन संबंधी जागरूकता एवं उत्साह संवर्धन हेतु एक विशेष पहल के रूप में वेबसाइट में राजभाषा पोर्टल की स्थापना की गई है जिससे कर्मचारियों को बहुत लाभ मिलेगा।
कार्यालय में राजभाषा के श्रेष्ठ निष्पादन हेतु पत्तन,पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा राजभाषा शील्ड प्रदान किया जाता है, नराकास (उपक्रम) कोच्ची द्वारा नियमित रूप से राजभाषा कार्यान्वयन पुरस्कार प्रदान किया जाता है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2018-19 में कार्यालय को राजभाषा कीर्ती पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
विशेष पहल+
विशेष पहल
- फाइलों में हिन्दी में टिप्पण एवं आलेखन के लिए पोर्ट अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए नकद पुरस्कार
- गृह पत्रिका कोचिन लहर में प्रकाशित पाठ्यसामग्री के लेखकों को शील्ड योजना
- हिन्दी सुझाव योजना
- हिन्दी पखवाड़ा के दौरान आयोजित प्रतियोगिता में सबसे अधिका पोयंट प्राप्त विभाग को ‘चल वैजयंती पुरस्कार’
- मंगल प्रभात संदेश संचार योजना। इस योजना के अंतर्गत कर्मचारियों को वाट्सऑप,मेसेज चैट आदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मंगल प्रभात संदेशों/ एवं विभिन्न अवसरों पर शुभकामनाएं संदेश मूल रूप से हिन्दी में टंकण कर संप्रेषित करने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस उद्देश्य के लिए हर एक के मोबाइल में गूगल की -बोर्ड इंस्टाल कर डेमोनस्ट्रेशन कर प्रशिक्षित भी किया गया।
- ‘दिन की पहली शुरुआत हिन्दी के साथ’- हिन्दी में हस्ताक्षर योजना ।
- हिन्दी में सराहनीय कार्य करने के उपलक्ष्य में श्रेष्ठ राजभाषा कर्मी पुरस्कार ।
- एसएसएलसी/सीबीएसई 10वीं कक्षा में हिन्दी में सबसे सर्वाधिक अंक प्राप्त पोर्ट कर्मचारियों के बच्चों के लिए नकद पुरस्कार ।
- 12वीं कक्षा में सबसे अधिक अंक प्राप्त पोर्ट कर्मचारियों के बच्चों के लिए नकद पुरस्कार ।
व्यक्तिश:आदेश+
व्यक्तिश:आदेश
कार्यालय में राजभाषा कार्यान्वयन के प्रभावी निष्पादन को सुनिश्चित करने हेतु राजभाषा नियम 8(4) के अंतर्गत कार्यालय के प्रवीणता प्राप्त अधिकारियों/कर्मचारियों को कार्यालयीन गतिविधियों (पत्राचार/टिप्पण-आलेखन आदि) में मूल रूप से केवल हिन्दी का ही प्रयोग करने हेतु अध्यक्ष द्वारा प्रत्येक छमाह के अंतराल में कर्मचारियों के नाम व्यक्तिश: आदेश जारी किया जाता है।
जांच बिन्दु+
जांच बिन्दु
संघ की राजभाषा हिन्दी के कार्यान्वयन संबंधी नियम 12 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राजभाषा अधिनियम 1963 के प्रावधानों के शत-प्रतिशत अनुपालन करने हेतु अध्यक्ष द्वारा कार्यालय के विभिन्न अधिकारियों को जांच बिन्दु के रूप में तैनात किया गया है जो अपने संबंध विभागों/अनुभागों में राजभाषा नीति नियमों के अनुपालन सुनिश्चित करते हैं।
राजभाषा नोडल अधिकारियों को आदेश+
राजभाषा नोडल अधिकारियों को आदेश
प्रत्येक विभाग के वरिष्ठ पदाधिकारियों को राजभाषा नोडल अधिकारियों के रूप में नियुक्त किया गया है जो अपने विभागों/अनुभागों में राजभाषा कार्यान्वयन व प्रचार-प्रसार संबंधी क्रियाकलापों को प्रोत्साहित करते हैं एवं हिन्दी अनुभाग के साथ निरंतर संपर्क में रहते हुए अपने विभाग में राजभाषा समन्वय अधिकारी के रूप में कार्य करते हैं।
सोशल मीडिया मंच में पहुंच+
सोशल मीडिया मंच में पहुँच
कार्यालय में राजभाषायी कार्यान्वयन के पारंपरिक शैली से हट कर राजभाषा हिन्दी का डिजिटलाइज़ेशन प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए हिन्दी के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु वेबसाइट,फेसबुक,ट्विट्टर,इंस्टग्राम और ह्वाट्सऑप आदि सोशल मीडिया के सभी मंचों पर हिन्दी के प्रयोग को सुनिश्चित करने का प्रयास शुरू कर दिया गया है। इसके अनुक्रम में कार्यालय की वेबसाइट का पूर्णत: हिंदीकरण किया गया है। ट्विट्टर में हिन्दी का प्रयोग किया जा रहा है। कर्मचारीगण अपने ह्वाट्सऑप ग्रूप में संवाद संप्रेषण के लिए हिन्दी का प्रयोग करते हैं। कार्यालय के फेसबुक एवं इंस्टग्राम पर हिन्दी के पहुँच की योजना बनाई जा रही है।
इस प्रकार कार्यालय में राजभाषा हिन्दी के कार्यान्वयन के अंतर्गत सोशल मीडिया के द्वारा हिन्दी के प्रचार-प्रसार पर बल दिया जा रहा है।
टूल्स एवं सॉफ्टवेयर+
टूल्स एवं सॉफ्टवेयर
कंप्यूटर पर राजभाषा हिन्दी के प्रयोग को अधिक सहज बनाने एवं कर्मचारियों को विभिन्न प्रकार के राजभाषा सॉफ्टवेयर संबंधी ज्ञान कौशल में कर्मचारियों को दक्ष बनाने हेतु ई-शब्दावली,ई-व्याकरण,ई-वर्तनी शोधक,ई-फॉन्ट कनवर्टर एवं अनुवाद संबंधी कार्यकलाप की सहजता हेतु राजभाषा विभाग द्वारा जारी कंठस्थ -स्मृति आधारित अनुवाद सॉफ्टवेयर, हिन्दी टंकण में सहजता हेतु प्रवाचक राजभाषा (हिन्दी टेस्ट टू स्पीच) आदि बहुविध सॉफ्टवेयर संबंधी प्रशिक्षण समय-समय पर दिया जा रहा है जिससे कर्मचारियों को कंप्यूटर पर हिन्दी में कार्य करने की सुविधा होती है और हिन्दी कार्यान्वयन में कर्मचारियों का रुझान निरंतर बढ़ रहा है।
फोटो गैलरी+
फोटो गैलरी